अहोई अष्टमी 2024(Ahoi Ashtami 2024): माता अहोई का व्रत एवं कथा
भारत में हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र और उनके सुखी जीवन के लिए रखा जाता है। यह व्रत हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की भलाई, खुशहाली और दीर्घायु के लिए उपवास रखती हैं। अहोई अष्टमी के व्रत में माता पार्वती की पूजा की जाती है जिन्हें अहोई माता भी कहा जाता है। यह व्रत संतान की सुरक्षा और उन्नति के लिए रखा जाता है और इस दिन संतान की कुशलता के लिए माता अहोई की पूजा की जाती है।
अहोई अष्टमी 2024 का महत्व
यह व्रत हर माता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत न केवल संतान के दीर्घ जीवन के लिए बल्कि उनके सुखमय और समृद्ध जीवन के लिए भी रखा जाता है। इस दिन माताएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और शाम को अहोई माता की पूजा करती हैं। इस दिन अहोई माता का चित्र या प्रतीक बनाकर या दीवार पर चित्रित कर उसकी पूजा की जाती है। पूजा के दौरान माता अहोई को जल, फूल, रोली, चावल, दूध और मिठाई आदि अर्पित किए जाते हैं। इसके साथ ही व्रत कथा सुनने और सुनाने का भी विशेष महत्व होता है।
अहोई अष्टमी 2024 की व्रत विधि
इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद संकल्प लेकर व्रत की शुरुआत की जाती है। दिन भर उपवास रखने के बाद शाम को तारे दिखने पर या चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है। इस दिन मिट्टी या गोबर से अहोई माता की प्रतिमा बनाई जाती है या फिर दीवार पर उनकी आकृति बनाई जाती है। इसके सामने दीपक जलाकर पूजा की जाती है। पूजन के दौरान फल, मिठाई, जल और चावल चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद अहोई अष्टमी की व्रत कथा का श्रवण किया जाता है।
अहोई अष्टमी व्रत कथा
कथा के अनुसार, “प्राचीन काल में एक साहूकार था जिसकी सात संतानें थीं। दीवाली से पहले कार्तिक मास में साहूकार की पत्नी घर को लिपाई-पुताई करने के लिए जंगल से मिट्टी लाने गई। जब वह मिट्टी खोद रही थी, तो अनजाने में उसकी खुरपी से एक साही (साही का बच्चा) मर गया। साहूकार की पत्नी को इसका बहुत दुख हुआ, लेकिन वह लौट आई। कुछ समय बाद उसकी सारी संताने एक-एक करके मरने लगीं। यह देखकर साहूकार और उसकी पत्नी बहुत दुःखी हुए और उन्होंने पुजारियों से इसका समाधान पूछा।
पुजारियों ने उन्हें बताया कि यह सब उस साही के श्राप के कारण हो रहा है, जो मिट्टी खोदते समय मारा गया था। उन्होंने साहूकार की पत्नी को कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को माता पार्वती की पूजा करके क्षमा याचना करने को कहा। साहूकार की पत्नी ने पुजारियों की सलाह मानकर अहोई अष्टमी के दिन माता पार्वती की पूजा की और अपने बच्चों की सुरक्षा की प्रार्थना की। माता पार्वती की कृपा से उसकी सभी संताने पुनः जीवित हो गईं।” तब से अहोई अष्टमी का व्रत संतान की सुरक्षा और समृद्धि के लिए किया जाने लगा।
अहोई अष्टमी 2024: पूजन का समय
2024 में अहोई अष्टमी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन अष्टमी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर 2024 को सुबह 01:18 बजे होगा और इसका समापन 25 अक्टूबर 2024 को दोपहर 01:58 बजे होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त संध्या काल में 5:45 बजे से 06:59 बजे तक रहेगा। उपवास खोलने हेतु तारे दिखने का समय सायं 06:07 बजे रहेगा।
अहोई अष्टमी व्रत के लाभ
अहोई अष्टमी का व्रत करने से संतान की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत माता-पिता और उनके बच्चों के बीच के संबंधों को मजबूत करता है। संतान की सुरक्षा, स्वास्थ्य और उन्नति के लिए माता अहोई की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।
व्रत समाप्ति और आशीर्वाद
रात में तारे दिखने पर महिलाएं व्रत खोलती हैं। पूजा के बाद अहोई माता का आशीर्वाद लेते हुए अपने बच्चों के माथे पर टीका करती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती हैं। संतान की कुशलता के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है और इसके बाद महिलाएं व्रत का पारण करती हैं।
अंतिम विचार:
अहोई अष्टमी का व्रत मातृत्व के प्रति प्रेम और संतान की सुरक्षा के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस व्रत के माध्यम से माताएं अपने बच्चों के सुखद और समृद्ध जीवन की कामना करती हैं। व्रत की पूजा विधि और कथा सुनने से इस पर्व का महत्व और अधिक बढ़ जाता है, जिससे माताएं अपने बच्चों के प्रति अपने कर्तव्यों को और अच्छे से निभाने का संकल्प लेती हैं।
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