सोमवती अमावस्या(Somvati Amavasya): महत्व, पूजा विधि और लाभ
भारत एक सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता वाला देश है, जहां विभिन्न तीज-त्यौहार, व्रत और पर्व मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है सोमवती अमावस्या । यह विशेष अमावस्या तब आती है जब अमावस्या का दिन सोमवार को पड़ता है। इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इसे सौभाग्य, समृद्धि, और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
सोमवती अमावस्या की तिथि एवं मुहूर्त
2024 में तीन सोमवती अमावस्या का संयोग है पहली अमावस्या 8 अप्रैल को पड़ी थी तथा अगली अमावस्या 2 सितम्बर को रहेगी। तथा तीसरी अमावस्या की तारीख 30 दिसम्बर रहेगी।
आगामी महत्वपूर्ण सोमवती अमावस्या जो भाद्रपद, कृष्ण अमावस्या है वह 2 सितम्बर सुबह 05:21AM से शुरू होकर 3 सितम्बर की सुबह 07:24AM पर समाप्त होगी।
तीसरी सोमवती अमावस्या इस साल 30 दिसम्बर को रहेगी।
सोमवती अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में अमावस्या का दिन पितरों के तर्पण और पूजा के लिए विशेष माना गया है। जब यह दिन सोमवार को आता है, तो इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से परिवार की सुख-समृद्धि, लंबी आयु और सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, पीपल के वृक्ष की पूजा करना और ब्राह्मणों को दान देना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है।
सोमवती अमावस्या की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण महिला अपने पति के साथ अत्यंत गरीबी में जीवन बिता रही थी। एक दिन उसकी एक पड़ोसी महिला ने उसे सोमवती अमावस्या का व्रत रखने की सलाह दी। उस ब्राह्मण महिला ने व्रत रखा और पूरी श्रद्धा से भगवान की पूजा की। इसके बाद, उसके जीवन में समृद्धि आई और उसके पति को दीर्घायु प्राप्त हुई। तभी से इस व्रत को लेकर मान्यता है कि यह व्रत करने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या पूजा विधि
- स्नान और शुद्धिकरण: इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी, तालाब या किसी कुंड में स्नान करना चाहिए। यदि यह संभव न हो, तो घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पीपल वृक्ष की पूजा: स्नान के बाद पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर उसकी पूजा करें। वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय ‘ॐ नमः शिवाय‘ या ‘ॐ सोमाय नमः‘ मंत्र का जाप करें।
- पति की लंबी आयु के लिए व्रत: इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। व्रतधारी महिला इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्यास्त के बाद ही व्रत तोड़ती हैं।
- पितरों का तर्पण: इस दिन पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है। तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- दान और ब्राह्मण भोजन: इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। दान में अनाज, वस्त्र और दक्षिणा देना चाहिए।
व्रत के नियम और सावधानियां
- शुद्धता का पालन: इस दिन शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। व्रतधारी को इस दिन क्रोध, ईर्ष्या और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
- पूजा विधि में गलतियां न करें: पूजा करते समय विधि-विधान का पूरा ध्यान रखना चाहिए। किसी भी प्रकार की गलती से व्रत का फल नहीं मिलता है।
- पवित्र स्थान का चयन: पूजा और स्नान के लिए पवित्र स्थान का चयन करें। यदि नदी या तालाब में स्नान करना संभव नहीं हो, तो घर पर ही शुद्धता से स्नान करें।
- शांत मन से पूजा करें: पूजा के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें। किसी भी प्रकार की अशांति या विकार का ध्यान न आने दें।
सोमवती अमावस्या के लाभ
- पारिवारिक सुख-शांति: इस दिन व्रत रखने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। घर में क्लेश और दरिद्रता दूर होती है।
- दीर्घायु की प्राप्ति: इस व्रत को करने से पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसे सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं।
- धन-सम्पत्ति में वृद्धि: इस दिन पूजा और व्रत करने से धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है। घर में आर्थिक संकट नहीं आता और समृद्धि बनी रहती है।
- पितरों की शांति: पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। इससे पितृ दोष भी समाप्त होता है।
- दुर्भाग्य से मुक्ति: सोमवती अमावस्या पर व्रत करने से जीवन में आ रही परेशानियां और दुर्भाग्य समाप्त होते हैं। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
विभिन्न धर्मग्रंथों में उल्लेख
हिंदू धर्म के विभिन्न धर्मग्रंथों में सोमवती अमावस्या का उल्लेख मिलता है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण और गरुड़ पुराण में इस व्रत की महिमा का वर्णन किया गया है। इस व्रत को करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ सोमवती अमावस्या का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है। चंद्रमा का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है, और अमावस्या के दिन चंद्रमा की स्थिति विशेष होती है। इस दिन व्रत और ध्यान करने से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है।
निष्कर्ष
सोमवती अमावस्या एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है। इस दिन का व्रत और पूजा करने से मनुष्य को दीर्घायु, सुख-समृद्धि और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। समाज में शांति और समृद्धि के लिए इस व्रत का पालन आवश्यक है।
इस प्रकार सोमवती अमावस्या का व्रत और पूजा एक धार्मिक कर्तव्य है जिसे श्रद्धा और भक्ति से करना चाहिए। इससे न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि परिवार और समाज में भी सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
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