विश्वकर्मा पूजा 2024 (Vishwakarma puja: Significance and Rituals)

विश्वकर्मा पूजा (Vihwakarma puja: Significance and Rituals)

भारत में विश्वकर्मा पूजा एक ऐसा पर्व है जिसे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पूजा भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में की जाती है जिन्हें निर्माण और सृजन के देवता माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा का इतिहास, इसके महत्व और इसे मनाने की विधि पर चर्चा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा का इतिहास

इस पर्व का इतिहास बहुत पुराना है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है। उन्हें सृष्टि के निर्माता के रूप में भी सम्मानित किया जाता है। विभिन्न पुराणों में उनका उल्लेख मिलता है, जिसमें उन्हें दिव्य शिल्पकार के रूप में चित्रित किया गया है जिन्होंने स्वर्ग, लंका, द्वारका और पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ जैसे महान नगरों का निर्माण किया था।

विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा जी को वेदों में ‘दिव्य शिल्पी’ और ‘सर्वशिल्पज्ञ’ कहा गया है। ऋग्वेद में उनका वर्णन एक महान कारीगर और इंजीनियर के रूप में किया गया है। ऋग्वेद के अनुसार, उन्होंने त्रिलोक की रचना की थी। त्रेतायुग में उन्होंने लंका का निर्माण किया था, द्वापरयुग में द्वारका का और सतयुग में स्वर्ग का निर्माण भी उन्होंने ही किया था।

विश्वकर्मा पूजा का महत्व

इस पूजा का विशेष महत्व है विशेषकर उन लोगों के लिए जो तकनीकी कार्यों में संलग्न होते हैं, जैसे इंजीनियर, वास्तुकार, शिल्पकार, कारीगर और मशीनरी से जुड़े लोग। इस दिन, लोग अपने कार्यस्थलों और औजारों की पूजा करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद मांगते हैं ताकि उनका कार्य सफल और समृद्ध हो।

इस दिन का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह पूजा हमें सृजन और नवाचार के प्रति हमारी श्रद्धा को याद दिलाती है। विश्वकर्मा पूजा सृजनशीलता, शिल्पकला और मेहनत के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है।

विश्वकर्मा पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त 2024

वर्ष 2024 में विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर को सोमवार मनाई जाएगी। इस दिन कन्या संक्रांति का शुभ संयोग भी रहेगा। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 07:30 बजे से 09:00 बजे तक रहेगा।

विश्वकर्मा पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त 2024

इस दिन के शुभ मुहूर्त की जानकारी नीचे तालिका में दी गई है-

कार्यसमय
सूर्योदयसुबह 06 बजकर 07 मिनट पर
सूर्यास्तशाम 06 बजकर 25 मिनट पर
चन्द्रोदयशाम 05 बजकर 27 मिनट पर
चंद्रास्तसुबह 04 बजकर 57 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त04:33 AM से 05:20 AM तक
विजय मुहूर्त02:19 PM से 03:08 PM तक
गोधूलि मुहूर्त06:25 PM से 06:48 PM तक
निशिता मुहूर्त11:52PM से 12:39 PM तक

 

विश्वकर्मा पूजा की विधि

विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग अपने कार्यस्थल और औजारों की विशेष रूप से सफाई करते हैं। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर को स्थान देकर उनकी पूजा करते हैं। पूजा की शुरुआत गणेश वंदना से की जाती है, उसके बाद विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, अक्षत, पुष्प, फल, मिठाई आदि अर्पित किए जाते हैं।

विश्वकर्मा पूजा विधि

पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है और कार्यस्थल पर काम करने वाले लोगों को भोजन कराया जाता है। इस दिन कार्यस्थल पर कोई काम नहीं किया जाता इसे विश्राम का दिन माना जाता है।

विश्वकर्मा पूजा के पीछे की धार्मिक मान्यता

विश्वकर्मा पूजा के पीछे एक धार्मिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही सृष्टि का निर्माण किया था और सभी देवताओं के लिए विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र और भवनों का निर्माण किया। कहते हैं कि भगवान विश्वकर्मा ने ही इंद्र के वज्र का निर्माण किया था, जो त्रिलोक में अद्वितीय है। साथ ही, उन्होंने सुदर्शन चक्र, त्रिशूल, पुष्पक विमान और अनेक दिव्य वस्त्रों का निर्माण किया था।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब पांडव वनवास के दौरान इंद्रप्रस्थ में निवास कर रहे थे, तब भगवान विश्वकर्मा ने उनके लिए दिव्य महल का निर्माण किया था, जो अपनी सुंदरता और स्थापत्य कला के लिए विख्यात था।

विश्वकर्मा पूजा का आधुनिक संदर्भ

आधुनिक समय में विश्वकर्मा पूजा केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह कार्यशाला, फैक्ट्री, और अन्य निर्माण स्थलों पर सृजन और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने का भी प्रतीक है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष है जो किसी न किसी रूप में निर्माण और तकनीकी कार्यों से जुड़े हुए हैं।

विश्वकर्मा पूजा का आधुनिक संदर्भ

वर्तमान समय में, जहां तकनीकी प्रगति और औद्योगिकीकरण ने समाज को नए आयाम दिए हैं, वहां विश्वकर्मा पूजा का महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन, विभिन्न उद्योगों, फैक्ट्रियों, और तकनीकी संस्थानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है और उनसे सफलता और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

निष्कर्ष

विश्वकर्मा पूजा का पर्व सृजन, नवाचार और श्रम के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन में सृजनशीलता और मेहनत का कितना महत्वपूर्ण स्थान है। भगवान विश्वकर्मा, जो कि निर्माण और शिल्प के देवता हैं, की पूजा करके हम न केवल उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं, बल्कि अपनी कार्यशक्ति और नवाचार की भावना को भी प्रोत्साहित करते हैं।

इस दिन की पूजा विधि और धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ यह पर्व हमें अपने कार्यस्थल पर स्वच्छता, अनुशासन, और मेहनत के प्रति समर्पण की भी प्रेरणा देता है। विश्वकर्मा पूजा का यह पर्व आने वाली पीढ़ियों को भी सृजन और श्रम के महत्व को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देगा।

विश्वकर्मा पूजा 2024 के इस पर्व पर, हम सभी को भगवान विश्वकर्मा से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें सृजनशीलता, नवीनता और समर्पण की शक्ति प्रदान करें ताकि हम अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि की ओर अग्रसर हो सकें।

इस बारे में भी जानें:-  क्यों छूतें हैं हिंदू धर्म में पैर?

other link

1 Comment

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *