दीपावली 2024(Deepawali 2024): समय, इतिहास, मनाने का तरीका एवं रीति-रिवाज
दीपावली का समय
भारत का एक प्रमुख त्यौहार है-दीपावली, जिसे दीवाली भी कहा जाता है, जो हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है। 2024 में दीपावली का त्यौहार 1 नवंबर को मनाया जाएगा। यह पांच दिनों तक चलने वाला त्यौहार है, जिसमें धनतेरस से लेकर भाई दूज तक के विभिन्न पर्व शामिल होते हैं। इस साल यह त्यौहार 29 अक्टूबर से शुरू होकर 1 नवंबर तक CELEBRATE किया जायेगा।
दीपावली का इतिहास
दीपावली का इतिहास और महत्व प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। इसे हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है और यह कई ऐतिहासिक घटनाओं के साथ जुड़ा हुआ है। सबसे प्रमुख कथा भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब उनके स्वागत के लिए नगरवासियों ने घर-घर दीप जलाए थे। उसी दिन से यह त्यौहार मनाया जाने लगा।
इसके अलावा, दीपावली को माता लक्ष्मी के प्रकट होने और भगवान विष्णु द्वारा राक्षस नरकासुर के वध से भी जोड़ा जाता है। जैन धर्म में भी इस का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था। सिख धर्म में, इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है जब गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने मुगलों की कैद से 52 राजाओं को मुक्त कराया था।
दीपावली का मनाने का तरीका
दीपावली का त्यौहार न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, घरों को सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं और दीप जलाते हैं। आजकल लोग घर पक्का होने के कारण दिवाली से पहले
धनतेरस:
दीपावली का पहला दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और धन्वंतरि की पूजा की जाती है। लोग इस दिन नए बर्तन, गहने, और अन्य मूल्यवान वस्त्र खरीदते हैं।
नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली):
दूसरे दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली होती है। इस दिन को भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करने की कथा से जोड़ा जाता है। इस दिन लोग स्नान करते हैं और अपने शरीर पर तिल का तेल लगाते हैं, जिसे नरकासुर की मृत्यु के उपलक्ष्य में बुराई का अंत माना जाता है।
दीपावली (लक्ष्मी पूजन):
तीसरे दिन मुख्य दीपावली होती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और धन की देवी से समृद्धि और वैभव की कामना की जाती है। घरों में दीप जलाए जाते हैं, रंगोली बनाई जाती है, और पटाखे फोड़े जाते हैं। यह दिन परिवार के साथ मिठाई बाँटने, उपहार देने और खुशी मनाने का होता है।
गोवर्धन पूजा (अन्नकूट):
चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है, जो भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना से जुड़ी है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और अन्नकूट का आयोजन होता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं।
भाई दूज:
पाँचवें दिन भाई दूज मनाया जाता है, जो भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए पूजा करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनके साथ भोजन करते हैं।
दीपावली के रीति-रिवाज और परंपराएँ
दीप जलाना:
दीपावली के दौरान दीप जलाना सबसे महत्वपूर्ण परंपरा है। माना जाता है कि दीपक जलाने से अंधकार का नाश होता है और प्रकाश का आगमन होता है। यह प्रतीकात्मक रूप से अज्ञानता से ज्ञान की ओर जाने का मार्ग दिखाता है।
माता लक्ष्मी की पूजा:
दीपावली की रात को माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। पूजा के दौरान घर के सभी सदस्य एकत्रित होते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं। इसे लक्ष्मी पूजन कहा जाता है, और इस दौरान घर के आँगन में दीप जलाए जाते हैं, जिससे घर में लक्ष्मी का वास हो।
रंगोली बनाना:
दीपावली के अवसर पर रंगोली बनाने का भी विशेष महत्व है। रंगोली न केवल सजावट का हिस्सा है, बल्कि इसे शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
मिठाइयाँ और उपहार बाँटना:
दीपावली के अवसर पर लोग मिठाइयाँ बनाते और बाँटते हैं। यह आपसी प्रेम और सौहार्द्र को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही उपहार देने की भी परंपरा है, जिससे रिश्तों में मजबूती आती है।
पटाखे फोड़ना:
दीपावली के अवसर पर पटाखे फोड़ने का चलन भी काफी प्रचलित है। हालाँकि, हाल के वर्षों में पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के कारण इसे नियंत्रित करने की अपील की जाती है।
समकालीन दृष्टिकोण
यह अब न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में मनाई जाने लगी है। विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीय प्रवासी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं, जिससे यह त्यौहार वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण हो गया है। हालाँकि, आजकल लोग पर्यावरण के प्रति अधिक सजग हो गए हैं जिसके चलते पर्यावरण अनुकूल दीपावली मनाने का चलन बढ़ा है।
अब लोग इको-फ्रेंडली रंगोली, जैविक रंग और दीयों का उपयोग करने लगे हैं। इसके साथ ही पटाखों की जगह पर बच्चों को खिलौने और अन्य खेल सामग्री देने का प्रचलन भी बढ़ा है।
दीवाली का त्यौहार हर व्यक्ति के जीवन में खुशी और समृद्धि लाता है। यह त्यौहार न केवल अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है बल्कि यह समाज में आपसी भाईचारे, प्रेम और शांति को भी बढ़ावा देता है। 2024 में दीपावली को और अधिक हर्षोल्लास से मनाने के लिए हमें अपनी पारंपरिक रीति-रिवाजों को निभाते हुए पर्यावरण की रक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए।
निष्कर्ष
दीपावली 2024 का त्यौहार हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर की याद दिलाता है और हमें अपने परिवार और समाज के साथ खुशियाँ बाँटने का अवसर प्रदान करता है। इस दीवाली, हमें अपनी परंपराओं को सहेजते हुए एक समृद्ध, खुशहाल और पर्यावरण के प्रति जागरूक समाज बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।
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