गणेश चतुर्थी 2024: भारतीय संस्कृति का अद्वितीय पर्व
गणेश चतुर्थी 2024 मनाने का समय
इस साल गणेश चतुर्थी 2024 उत्सव और उनके अनुष्ठान शुक्रवार, 6 सितंबर को दोपहर 03:01 बजे शुरू होंगे और मंगलवार, 17 सितंबर को शाम 05:37 बजे तक चलेंगे होंगे। 2024 के लिए गणेश विसर्जन मंगलवार, 17 सितंबर को किया जायेगा।
भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और अत्यंत प्रिय त्यौहार है-गणेश चतुर्थी, जिसे गणेशोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, । यह त्यौहार भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है और विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 2024 का पर्व 17 सितंबर को मनाया जाएगा। यह उत्सव भारत में 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस लेख में हम गणेश चतुर्थी के महत्व, उसकी पूजा विधि और पर्व के विशेष आयोजनों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
गणेश चतुर्थी का महत्व
यह (गणेश चतुर्थी) पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश, जिन्हें गणपति, विनायक और लम्बोदर के नाम से भी जाना जाता है, समस्त विघ्नों और कठिनाइयों को दूर करने वाले देवता हैं। उनकी पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि, बुद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव के घर जन्म लिया था।
गणेश चतुर्थी पूजा की विधि
गणेश चतुर्थी के दिन, श्रद्धालु अपने घरों और मंदिरों में गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं। प्रतिमा की स्थापना के लिए विशेष पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है जैसे – गणेश भगवान की प्रतिमा, फूल, अक्षत, धूप, दीपक, प्रसाद आदि। पूजा विधि निम्नलिखित है:
प्रतिमा की स्थापना:सबसे पहले एक स्वच्छ स्थान पर गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करें। प्रतिमा को सुंदर वस्त्र पहनाकर उन्हें फूल, अक्षत और चंदन से सजाएं।
धूप और दीपक:गणेश भगवान की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाएं। यह वातावरण को शुद्ध करता है और देवता को आमंत्रित करता है।
अर्चना और मंत्र:गणेश चालीसा, गणेश अष्टकशती या गणेश स्तोत्र का पाठ करें। गणेश मंत्र जैसे “ॐ गण गणपतये नमः” का जाप करें। यह मंत्र भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत प्रभावी होता है।
- प्रसाद: भगवान गणेश को लड्डू, मोदक और अन्य मिठाइयाँ अर्पित करें। ये प्रसाद भक्तों के लिए भी वितरित किया जाता है।
- आरती: पूजा की समाप्ति पर गणेश आरती का आयोजन करें। आरती के समय विशेष मंत्रों का उच्चारण करके भगवान गणेश की आराधना करें।
विशेष अनुष्ठान:कुछ भक्त इस अवसर पर व्रत रखते हैं और विशेष अनुष्ठान करते हैं जैसे – गणेश स्तोत्र का पाठ, व्रत की कहानी सुनना और भगवान गणेश के भजन गाना।
गणेश चतुर्थी के आयोजन
गणेश चतुर्थी के दौरान हर जगह विशेष उत्सव और समारोह आयोजित होते हैं। मुंबई और पुणे जैसे शहरों में गणेशोत्सव की भव्यता देखने को मिलती है। इस पर्व के दौरान विभिन्न स्थानों पर सजाए गए गणेश पांडाल(मंच) आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं।
पंडाल(मंच)सजावट:
गणेश चतुर्थी के अवसर पर विभिन्न पंडालों को अत्यंत सुंदर तरीके से सजाया जाता है। यहाँ भव्य मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और मनमोहक सजावट की जाती है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम:
इस दौरान भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें लोकनृत्य, संगीत और भजन संध्या प्रमुख होते हैं।
रैलियाँ और जुलूस:
गणेश प्रतिमा के साथ निकाली जाने वाली झांकियों के दौरान भक्त नाचते-गाते हुए पूरे शहर में घूमते हैं। यह दृश्य अत्यंत आकर्षक और मनमोहक होता है।
सामाजिक पहल:
गणेश चतुर्थी पर विभिन्न सामाजिक और धार्मिक कार्य भी किए जाते हैं, जैसे – रक्तदान शिविर, भोजन वितरण और वृक्षारोपण आदि।
गणेश विसर्जन (गणपति विसर्जन)
यह (गणेश चतुर्थी) उत्सव 10 दिनों तक चलता है और अंत में गणेश विसर्जन के साथ इसका समापन होता है। विसर्जन के दिन भक्त गणेश भगवान की प्रतिमा को लेकर नदी, समुद्र या अन्य जलाशयों की ओर जाते हैं और वहां प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। इस अवसर पर भव्य झांकियाँ और समारोह आयोजित किए जाते हैं। विसर्जन के समय भक्त “गणपति बप्पा मोरया, अगले साल जल्दी आओ” जैसे नारे लगाते हैं जो भगवान गणेश की वापसी की कामना को दर्शाता है।
समापन विचार
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें एकता, भक्ति और उत्सव का महत्व सिखाता है। इस पर्व के दौरान होने वाली सजावट, पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद सभी को मिलता है। गणेश चतुर्थी 2024 हमें इस पर्व की खुशियों को महसूस करने और भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करने का एक और मौका प्रदान करेगी, तो इस गणेश चतुर्थी पर अपनी खुशियों को दोगुना करें और इस पावन पर्व को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाएं।
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